Mahadev सट्टेबाजी घोटाला: ताजा छापों में $67.33 मिलियन की संपत्ति जब्त

Anchal Verma
लेखक Anchal Verma
अनुवादक Moulshree Kulkarni

भारत सरकार की कानून प्रवर्तन और आर्थिक खुफिया एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने Mahadev ऑनलाइन बेटिंग ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नए छापे के बाद ₹573 करोड़ ($67.33 मिलियन) मूल्य की प्रतिभूतियाँ, बॉन्ड और डीमैट खाते जब्त किए हैं। संघीय एजेंसी ने अवैध सट्टेबाजी नेटवर्क की अपनी जाँच को तेज़ करते हुए 16 अप्रैल को कई शहरों में ये तलाशी ली।

शहरों में छापे

ED ने दिल्ली, मुंबई, इंदौर, अहमदाबाद, चंडीगढ़, चेन्नई और ओडिशा के संबलपुर में कई जगहों पर छापेमारी की। इन ऑपरेशनों के दौरान अधिकारियों ने ₹3.29 करोड़ की नकदी जब्त की और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और दस्तावेज जब्त किए।

सट्टेबाज़ी से होने वाले मुनाफ़े को शेयर बाज़ार में निवेश किया गया

ED के अनुसार, अवैध सट्टेबाज़ी से होने वाली आय को भारत से बाहर ले जाया गया और बाद में भारतीय शेयर बाज़ार में निवेश के रूप में वापस लाया गया। ये लेन-देन विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) की आड़ में किए गए, जिसमें शेल कंपनियों और बेनामी खातों की जटिल परतों का इस्तेमाल किया गया।

जांच में पता चला कि छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SME) के शेयर मूल्यों में हेरफेर करने के लिए सूचीबद्ध कंपनियों में दागी धन लगाया गया था। कथित तौर पर इस कृत्रिम उतार-चढ़ाव का उद्देश्य आम निवेशकों को धोखा देना और कंपनी के मूल्यांकन को बढ़ाना था।

शेल कंपनियां और स्टॉक ब्रोकर जांच के घेरे में

ED ने पाया कि कुछ सूचीबद्ध संस्थाओं के प्रमोटरों ने अवैध धन का इस्तेमाल करने के लिए आरोपी व्यक्तियों के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने शेयरों के तरजीही निर्गम, प्रमोटर के पास मौजूद शेयरों की बिक्री और शेयर वारंट जारी करने के जरिए ऐसा किया। इन गतिविधियों को एजेंटों और स्टॉक ब्रोकरों द्वारा सुगम बनाया गया, जिनमें से कुछ को छापेमारी के दौरान भी निशाना बनाया गया।

कथित तौर पर निवेश को परत-दर-परत करने और फंड के मूल स्रोत को छिपाने के लिए कई सूचीबद्ध कंपनियों का इस्तेमाल किया गया था। एजेंसी अब शेयर मूल्य हेरफेर की पूरी कार्यप्रणाली को उजागर करने और इसमें शामिल बिचौलियों के नेटवर्क की पहचान करने के लिए काम कर रही है।

मामले की पृष्ठभूमि

Mahadev सट्टेबाजी ऐप मामला पहली बार तब सुर्खियों में आया जब ED को इसमें छत्तीसगढ़ के उच्च पदस्थ राजनेता और नौकरशाहों के जुड़े होने के सुबूत मिले। ऐप के मुख्य प्रमोटर Sourabh Chandrakar और Ravi Uppal भी राज्य से हैं। ED ने पिछले कुछ वर्षों में इस मामले में कई छापे मारे हैं।

अब तक, एजेंसी ने 13 व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया है और कुल 74 अभियुक्तों के नाम से पाँच आरोप पत्र दायर किए हैं। ₹3,002 करोड़ की संपत्तियाँ कुर्क, फ़्रीज़ या ज़ब्त की गई हैं। इस मामले में अपराध की अनुमानित आय लगभग ₹6,000 करोड़ है।

अवैध गतिविधियों का जटिल जाल

ED के अनुसार, Mahadev ऑनलाइन बेटिंग ऐप एक अम्ब्रेला प्लेटफ़ॉर्म के रूप में काम करता था, जो अवैध सट्टेबाजी वेबसाइटों को नए उपयोगकर्ताओं को पंजीकृत करने, नकली उपयोगकर्ता आईडी बनाने और बड़ी मात्रा में मनी लॉन्ड्रिंग करने में सक्षम बनाता था। कथित तौर पर यह ऐप कानूनी जाँच को दरकिनार करने के लिए बेनामी बैंक खातों और शेल संस्थाओं के एक विस्तृत नेटवर्क के माध्यम से संचालित होता था।

एजेंसी की जांच जारी है, जिसमें लेन-देन की पूरी श्रृंखला और उनके पीछे के लोगों का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

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